हरियाणा की प्रमुख नदियां | haryana ke parmukh ndiya

 हरियाणा की प्रमुख नदियां  | haryana ke parmukh ndiya
 हरियाणा की प्रमुख नदियां  | haryana ke parmukh ndiya

हरियाणा में मुख्य दो प्रकार की नदियों का समूह है प्रथम वह है,जो राज्य की सीमाओं के सीमावर्ती क्षेत्र में प्रवाहित है। या कभी रही थी तथा दूसरी वह है दो छोटी नदियों के रूप में हरियाणा के दक्षिणी भाग में प्रवाहित होती है।


गंगा की प्रमुख सहायक नदी है राज्य की पूर्वी सीमा पर लगते अंबाला, कुरुक्षेत्र करनाल सोनीपत फरीदाबाद जिलों के साथ लगकर बहती है इसके अतिरिक्त हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मध्य सीमा विभाजन का कार्य भी करती है। इसका निकास उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल हिमालय में स्थित बंदरपूंछ के पश्चिमी ढाल पर यमुनोत्री हिमनद से 6330 मीटर की ऊंचाई से होता है तथा यह ताजेवाला के उत्तर में कलेसर के नजदीक हरियाणा के यमुनानगर जिले से परवेश करती है। यह 320 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद फरीदाबाद के हसनपुर नामक स्थान से उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से प्रवेश करती है।

सरस्वती नदी :

ऋग्वेद कालीन या पवित्र नदी अब बरसाती नदी बनकर रह गई है। वर्षा के मौसम में यह हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की बर्फीली पहाड़ियों से निकलती है तथा लोर,भवानीपुर,बाल छप्पर,खेड़ा, पेहोवा सिरसा आदि क्षेत्रों से होती हुई अंत में घग्घर व मारकंडा नदियों के सहयोग से भटनेर राजस्थान में प्रवेश करती है इसके बाद यह लुप्त हो जाती है।

घग्घर नदी :

इस नदी का निकास शिमला के समीप डागशाई नामक स्थान से 1927 मीटर की ऊंचाई से होता है जो कालका नामक स्थान से हरियाणा में प्रवेश कर पंचकुला अंबाला कैथल फतेहाबाद सिरसा को पाकर हनुमानगढ़ के पास राजस्थान में प्रवेश कर जाती है। इस नदी का स्वरूप मौसमी है। तथा इसे अपने परवाह में सरस्वती नदी के सहयोग से मारकंडा में टांगरी नदी का जल भी प्राप्त होता है।


मारकंडा नदी :



इस नदी का निकास हिमाचल प्रदेश के नाहन के नजदीक शिवालिक पहाड़ियों से होता हैं | यह गंगा-सिंधु जल विभाजक की एक छोटी नदी हैं जो सदादानी और बैगवा नामक नालो के सहयोग से अंबाला व् कुरुक्षेत्र जिलों को पार करती हुई सरस्वती नदी में मिल जाती है |


हरियाणा के दक्षिणी भाग में बहने वाली प्रमुख नदी साहिबी का निकास जयपुर के उत्तर में लगभग 113 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मनोहरपुर अजीतगढ़  के समीप की मेवात (बहरोड) की पहाड़ियों से होता है कोट-कासिम के समीप रेवाड़ी जिले से नदी का हरियाणा में प्रवेश होता है इसके बाद यह खलीलपुर एवं पटोदी को पार करती हुई लाहोरी गांव के समीप झज्जर में प्रवेश करती है और जो आगे खेड़ी सुल्तान से गुजरते हुए गुड़गांव जिले में प्रवेश करती है अंत में यह  कुत्तानी गांव रोहतक से गुजरकर यमुना नदी में मिल जाती है |

इंदौरी नदी :


इस नदी का निकास मेवात ज़िले में स्थित नूंह के समीप मेवात की पहाड़ियों से होता है इंदौरी किले के साथ बहकर चलने के कारण इसे इंदौरी नदी के नाम से जाना जाता है इसकी एक शाखा रेवाड़ी जिले की सीमा पर साहिबी नदी में मिलती है तथा दूसरी शाखा पटोदी के निकट साहिबी नदी में मिल जाती है |


कृष्णावती नदी :


साहिबी नदी के उदगम स्थल के निचले भाग से ही इस नदी का भी विकास होता है जो नीमराणा,रेवाड़ी,कोसली,झज्जर, सुरेटी,व् छुछकवास आदि क्षेत्रों में होती हुई अंत में बहरोड नाले में मिलकर लुप्त हो जाती है |

दोहान नदी :


इस मौसमी नदी का निकास ढ़ोसी नामक स्थान से होता है तथा यह महेंद्रगढ़ से गुजरकर रेवाड़ी में आकर लुप्त हो जाती है |

टांगड़ी नदी :


इस मौसमी नदी का निकास मोरनी की पहाड़ियों से होता है जो अंबाला जिले में उमला नाले को साथ लेकर आखिरकार मारकंडा नदी में मिल जाती है |

आपगा नदी :


सरस्वती की तरह नदी प्राचीनकाल की प्रसिद्ध नदी है जो आज बरसाती नाला बन कर रह गई है इसे निचली खांड कहकर भी पुकारा जाता है हिरण्यवती, मंदाकनी इसकी प्रमुख शाखा है |
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